पहले सोचा कि एक हिंदी का ब्लॉग अलग से लिखूं। Excusively in Hindi। लेकिन हिंदी और अग्रेज़ी का लिखने वाला मैं तो एक ही हूँ। हिंदी बोलना पहले सीखा। पहला प्यार हिंदी है। हालांकि अंग्रेज़ी से भी उतना ही प्यार करता हूँ। और यह स्थिति दो नावों में सवार होने जैसा दुस्साहस बिल्कुल भी नहीं है। After all I Am Plural।
वैसे हिंदी के लिए एक अलग जगह सुरक्षित रखने से यह बहुलता समाप्त तो नहीं होती। बिल्कुल नहीं। आने वाले समय में शायद अलग ब्लॉग बना भी लूँ। Let's see.
हिंदी में लिखने की इच्छा काफी समय से थी। ठीक एक हफ्ते पहले लाल्टू को पहली हिंदी ईमेल लिखी। उसके बाद से हर रोज़ सोचता रहा कि लिखूंगा। और आज इतवार के दिन छुट्टी को भुना रहा हूँ। परिवार के बाकी लोग बाहर दिसंबर की धूप का मज़ा ले रहे हैं। इस पोस्टिंग के बाद थोड़ा समय उनके साथ भी बैठूंगा।
दरअसल हिंदी में लिखने के पीछे एक कारण लाल्टू का ब्लॉग भी है।
दूसरा कारण जो कि शायद पहला कारण है और जो मैं उपर बता भी चुका हूँ वह है हिंदी से प्यार। या शायद तुलनात्मक रूप से हिंदी से थोड़ी अधिक घनिष्ठता। मातृभाषा पंजाबी है। ईश्वर ने चाहा तो कभी पंजाबी में भी ब्लॉग लिखूंगा। पंजाबी में कुछ अनुवाद तो किया है परंतु मुक्त रूप से, अपना कुछ भी नहीं लिखा। हां, कुछ एक चिट्ठियां ज़रूर लिखी हैं। मुझे याद कि जब मेरी सबसे बड़ी बहन अपनी पढ़ाई के लिए लुधियाना में थी तो मैं उसकी अंग्रेज़ी में लिखी चिट्ठियों का जवाब पंजाबी में दिया करता था। मैं शायद पंजाबी में ही अपनी भावनाओं को ईमानदारी से अभिव्यक्त कर पाता था। लेकिन अंग्रेज़ी या हिंदी में बेईमानी है ऐसा कहना सरासर ग़लत होगा। घर में बचपन से पंजाबी ही बोली जाती रही तो मैं चिट्ठियां किसी और ज़बान में कैसे लिखता। गैर-हिंदी भाषी, गैर-भारतीय मित्रों के साथ अंग्रेज़ी बोलते हुए भी बहुत निकट अनुभव करता रहा हूँ।
तेरह-चौदह साल कि उम्र में अपने एक बहुत ही करीबी दोस्त को हिंदी में ढेरों चिट्ठियां लिखीं। आज भी कई बार चैटिंग करते हैं तो रोमन हिंदी में ही करते हैं।
अब शायद हिंदी - पंजाबी में लिखने की दिशा में सोचने से अपने बचपन और अपने आप को और अच्छे से समझ पाऊं।
2 comments:
आशीष जी, हिन्दी ब्लॉग जगत् में आपका हार्दिक स्वागत् है। मेरे ख़्याल से भी अगर आप एक अलग ब्लॉग बनाएँ, जो पूरी तरह हिन्दी में हो, तो अच्छा रहेगा। उम्मीद है कि आप हिन्दी में इसी तरह नियमित लेखन करते रहेंगे।
HindiBlogs.com
प्रतीक जी, उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। कोशिश करूंगा कि आपके सुझाव और अपनी खुद की इच्छा पर अमल कर सकूं। हालांकि आपकी तरह कई-कई मोर्चे संभालना तो मुमकिन न होगा। नियमित रूप से एक ही में लिखता रहूँ, फिलहाल तो यही एक उपलब्धि होगी।
वैसे और लोग इस बारे में क्या सोचते हैं यह जानना चाहूँगा।
Post a Comment